शुक्रवार, 12 मई 2017

हम भारतवासी कितना

भी पश्चिम के रंग के

प्रभाव में स्वयम् को

आधुनिक प्रदर्शित करें,

पर हमारे मूल स्वभाव में

धर्म रचा बसा है।

ऐसे ही आजादस्वामी जिसकी

माँ ने बोलजयकारा रूपी

लोरी गायन कर परिवरिश

की, जो महात्मा जन की

गोद में पला, उसके रोमरोम

में श्रीपरमहंसअद्वैतमत

के संस्कार बसे हुए हैं।